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उद॑स्य॒ शुष्मा॑द्भा॒नुर्नार्त॒ बिभ॑र्ति भा॒रं पृ॑थि॒वी न भूम॑ ॥७॥

English Transliteration

ud asya śuṣmād bhānur nārta bibharti bhāram pṛthivī na bhūma ||

Pad Path

उत्। अ॒स्य॒। शुष्मा॑त्। भा॒नुः। न। आ॒र्त॒। बिभ॑र्ति। भा॒रम्। पृ॒थि॒वी। न। भूम॑ ॥७॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:34» Mantra:7 | Ashtak:5» Adhyay:3» Varga:25» Mantra:7 | Mandal:7» Anuvak:3» Mantra:7


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वे कन्या विद्या कैसे पावें, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे कन्याजनो ! जैसे हम (भारम्) भार को (पृथिवी) भूमि (न) जैसे और (भानुः) किरणयुक्त सूर्य जैसे (न) वैसे (अस्य) इस विद्याव्यवहार के (शुष्मात्) बल से विदुषी (भूम) हों वा जैसे यह भानु पृथिवी आदि के भार को (उद्, बिभर्ति) उत्कृष्टता से धारण करता है, समस्त उस व्यवहार को (आर्त्त) प्राप्त होता है, वैसे तुम होओ ॥७॥
Connotation: - जैसे विद्वान् जन इस विद्याबोध के बल से सब सुख को धारण करते हैं, वैसे ही कन्याजन विद्याबल से सब आनन्द को पाती हैं ॥७॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्ताः कन्या विद्याः कथं प्राप्नुयुरित्याह ॥

Anvay:

हे कन्या ! यथा वयं भारं पृथिवी न भानुर्नास्य शुष्माद्विदुष्यो भूम यथाऽयं भानुः पृथिव्यादिभारमुद्बिभर्ति सकलं तदार्त्त तथा यूयं भवत ॥७॥

Word-Meaning: - (उत्) (अस्य) (शुष्मात्) बलात् (भानुः) किरणयुक्तः सूर्यः (न) इव (आर्त) प्राप्नोति (बिभर्ति) (भारम्) (पृथिवी) भूमिः (न) इव (भूम) भवेम ॥७॥
Connotation: - यथा विद्वांसोऽस्य विद्याबोधस्य बलात् सर्वं सुखं बिभ्रति तथैव कन्या विद्याबलात् समग्रमानन्दं प्राप्नुवन्ति ॥७॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जसे विद्वान विद्येचा बोध करून त्या बलाने सर्व सुख मिळवितात तसेच कन्या विद्याबलाने सर्व आनंद प्राप्त करतात. ॥ ७ ॥